पथ हेरि चलू सिया


पथ हेरि चलू सिया

चलू सिया पथ के हेरि हेरि हे
सौंसे कांट बिछल अछि
अखन विधाता वाम भेल छथि
पग धरु अहां सम्हारि हे
हमरा चिंता होइछ भारी ।
चलू सिया पथ के हेरि हे…..!
जनक कुमारी धिया अवध दुलारी
कुसुम वदन अछि चरण गुलाबी
ने कोनों महल अछि आने बखारी
फल फुल भेल आहार हे
अहांक दुख बड़ भारी ।
चलू सिया पथ के हेरि हे…….!
उपर बादल निचा मे बघवा
गरजि गरजि क' कोंढ़ कंपावय
कतहु गरजैया भाउल करिकवा
डारिये डारिये बानर कुदैया
हरिण अचंभित ठाढ़ छै
चलू सिया पथ के हेरि हे …..!

धन्य भाग्य जे सिया सहचरी
मिथिला देश आ जनकपुर नगरी
कि वन पशु कि राक्षस भारी
क' ने सकैया कोनों हानि ओ
संग सिया सन नारी।
चलू सिया पथ के हेरि हे !

डॉ प्रमोद कुमार
पांडिचेरी
Professor and Head of Economics at Tagore Arts College (TAC), Pondicherry University

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